bhairav kavach - An Overview
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गद्यपद्यमयी वाणी गङ्गानिर्झरिता तथा ॥ १४॥
रक्षाहीनन्तु यत् स्थानं वर्जितं कवचेन च
वामपार्श्वे समानीय शोभितां वरकामिनीम् ॥ ६॥
ವಿಚರನ್ ಯತ್ರ ಕುತ್ರಾಪಿ ವಿಘ್ನೌಘೈಃ ಪ್ರಾಪ್ಯತೇ ನ ಸಃ
सद्योजातस्तु मां पायात् सर्वतो देवसेवितः ॥
॥ इति श्रीरुद्रयामलोक्तं श्रीबटुकभैरवब्रह्मकवचं सम्पूर्णम् ॥
कथयामि शृणु प्राज्ञ बटोस्तु कवचं शुभम्
ॐ सहस्रारे महाचक्रे कर्पूरधवले गुरुः।
ದಿಗ್ವಸ್ತ್ರಂ ಪಿಂಗಕೇಶಂ ಡಮರುಮಥ ಸೃಣಿಂ ಖಡ್ಗಶೂಲಾಭಯಾನಿ
॥ ॐ ह्रीं बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरु कुरु बटुकाय ह्रीम् ॥
कालभैरव भगवान शिव के रौद्र अवतार हैं। आदि शंकराचार्य ने काल भैरव अष्टक में भगवान शिव के इस रूप का वर्णन किया है। कालभैरव ब्रह्म कवच कालभैरव का एक शक्तिशाली भजन है। ऐसा कहा get more info जाता है कि इस ढाल का जाप करने से आप जादू-टोने और अन्य शत्रुओं के हमलों से बच जाते हैं।
आसिताङ्गः शिरः पातु ललाटं रुरुभैरवः ॥ १६॥
षडंगासहिथो देवो नित्यं रक्षातु भैरवह
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